एक बार एक किसान था, जिसने अपनी घड़ी चारे से भरे हुए बाड़े में, खो दी थी। वह घड़ी बहुत कीमती थी, इसलिए किसान ने उसकी बहुत खोज बीन की पर वह घड़ी नहीं मिली।
बाहर कुछ बच्चे खेल रहे थे और किसान को दूसरा काम भी था, उसने सोचा क्यों न मैं इन बच्चो से घड़ी को खोजने के लिए कहूं। उसने बच्चों से कहा की जो भी बच्चा उसे घड़ी खोजकर देगा उसे वह अच्छा इनाम देगा।
यह सुनकर बच्चे ईनाम के लालच में, बाड़े के अन्दर दोड़ गए और यहाँ वहां घड़ी ढूंढने लगे। लेकिन किसी भी बच्चे को घड़ी नहीं मिली। तब एक बच्चे ने किसान के पास जाकर कहा की वह घड़ी खोजकर ला सकता है पर सारे बच्चों को बाड़े से बाहर जाना होगा। किसान ने उसकी बात मान ली। और किसान और बाकी सभी बच्चे बाड़े के बाहर चले गए।कुछ देर बाद बच्चा लौट आया और वह कीमती घड़ी उसके हाथ में थी।
किसान अपनी घड़ी देखकर बहुत खुश और आश्चर्यचकित हो गया ।उसने बच्चे से पूछा “तुमने घड़ी किस तरह खोजी जबकि बाकी बच्चे, और मैं खुद भी इस काम में नाकाम हो चुका था!”
बच्चे ने जवाब दिया “मैनें कुछ नहीं किया, बस शांत मन से ज़मीन पर बैठ गया और घड़ी के आवाज़ सुनने के कोशिश करने लगा, क्यों की बाड़े में शांति थी इसलिए मैने उसकी आवाज़ सुन ली और उसी दिशा में देखा!”
एक शांत दिमाग बेहतर सोच सकता है, एक थके हुए दिमाग की तुलना में! आत्मा हमेशा अपने आपको ठीक करना जानती है, बस मन को शांत करना ही चुनौती है।
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