मेरा नाम संदीप वाघेला है | मैं एक नेवल ऑफिसर हूँ | करीब 2 साल पहले की बात है | एक प्राइवेट सेमिनार अटेंड करने के लिए मैं अपनी पत्नी रूबी के साथ पोरबंदर गया था | तब कंपनी नें हमारा ठहरने का इंतज़ाम चौपाटी विला में किया था | हम डिनर करने के बाद पार्टी से करीब 1AM रूम पर लौटे | उसी रात मेरे साथ दिल दहला देने वाला हादसा हुआ था | यकीन मानिए उस समुंदर किनारे बने विला-गेस्टहाउस पर मौत का तांडव होता है |
Ruby ko chudail ne jakad liya tha ek sacchi ghatna
दरअसल, मुझको खिड़की से समंदर किनारे कुछ हलचल दिखी | शायद वहां कोई कपल जगड़ा कर रहा था | मैंने देखा उन दोनों में लड़ाई होने लगी | शायद वहां लड़की को बाल से पकड़ कर घसीटे जा रहा था | मैं उसी वक्त खिड़की से कुदा, कुछ ही देर में मैं उन के करीब जा पहुंचा | अमावस की रात थी तो, वहां काफी अँधेरा था | उनकी शक्ल दिख नहीं रही थी | मैं चिल्लाया, की “क्या चल रहा है?” पुलिस बुलाऊ क्या !
तब, उन दोनों में से किसी नें जवाब नहीं दिया, लेकिन कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ की, उधर खड़ा मर्द घुररा रहा था | और साथ खड़ी लड़की बस जटपटा रही थी चूँकि, उस आदमी नें उसका सिर-और बाल दबोच रखे थे | अब मेरा पारा चढ़ चूका था | मैंने उसी वक्त बड़ा पत्थर हाथ में लिया और कदम आगे बढ़ाने लगा | मेरा ऐसा करना शायद मेरी बहुत बड़ी गलती थी | अगले ही पल मुझे एहसास हुआ की, उस औरत के पास खड़े जिव के धड़ पर सिर ही नहीं था | यह एहसास रोंगटे खड़े कर देने वाला था | मैंने उसी वक्त पत्थर उसके पैरों की और फेंका…
तभी अगले ही पल उसने अपने पैरों से रेत उड़ान शुरू किया | मैं आँखें भींचता उधर से भाग और दौड़ कर हमारे विला की खिड़की के पास पहुँच गया | मैंने रूम के अंदर जा कर रूबी को पूरी बात बताई | हम दोनों सदमें से काँप रहे थे | उस वक्त, हमने समुंदर की और नज़र दौड़ाई लेकिन वहां कुछ नहीं दिख रहा था | शायद वह पारलौकिक शक्ति वहां से जा चुकी थी | उसके जकड में थी, उस महिला का भी कुछ पता नहीं लगा |
हम करीब 3AM तक सोने की कोशिश करने लगे | मुझे पक्का याद था कि हमने कमरे की लाइट चालू रक्खी थी | तभी मुझे एहसास हुआ की रूबी मेरे पीठ पर हाथ सहला रही थी | उसका हाथ काफी गर्म था | उस वक्त मैंने अजीब सी गंध का एहसास किया | मेरी आँख जटके से खुली तो कमरे में घूप अँधेरा था | मैंने फौरन मुड़ कर बिस्तर पर देखा तो मेरी रूह कांप गयी | वहां कोई भी नहीं था | तभी मेरी नज़र टीवी के पास गयी | वहां रूबी गुमसुम खड़ी थी | मैं उठ कर उसके पास जाने लगा लेकिन, पता नहीं क्यूँ वैसा मुझसे हो नहीं पा रहा था | मैं लेटेलेटे ही चीखा…
तभी, मैंने एक भयानक मंज़र देखा !
रूबी के पास परदे के पीछे वही बिना सिर बाल धड़ था, उसका पंजा रूबी के सिर पर था | थोड़ी ही देर में मुझे पसीने आने लगे | मेरी आँखें भारी होने लगी | उसके बाद क्या हुआ कुछ पता नहीं | मैं जैसे शुन्य अवकाश में जा चूका था | मेरा शरीर बेहद ठंडा पड़ चूका था | ऐसा लग रहा था की मेरे शरीर की चेतना ख़त्म हो चुकी है |
अगले दिन में अस्पताल में था | डॉक्टर नें बताया माइनर पैनिक अटैक हुआ है | रूबी नें कहा रात में कुछ हुआ ही नहीं | वह आज भी यही बोलती है | लेकिन मुझे पता है उस रात का भयानक सच | इस घटना के बाद हम कभी पोरबंदर नहीं गए | मेरे पहचान वाले कुछ लोग बताते हैं की उस विला के सामने समुंदर किनारे कई लोगों नें पारलौकिक अनुभव होने की बात कही है | शायद वह जगह खविसों का डेरा बन चुकी है