सोनू ने चॉकलेट मांगी तो माँ फ्रीज़ से बड़ा चॉकलेट निकालकर ले आई और उसे तोड़कर एक छोटा सा हिस्सा उसे दे दिया।
सोनू उसे खाने के बाद उँगलियाँ चाट ही रहा था कि उसकी नज़र कामवाली के बेटे कालू पर पड़ी।
वह एक टक उसकी उँगलियों को देखे जा रहा था।
सोनू की उँगलियों के साथ साथ कालू की ऑंखें भी हरकतें कर रही थी।
सोनू ने माँ से उसे भी चॉकलेट का एक छोटा सा टुकड़ा देने को कहा तो माँ भड़क गई,
“तुझे पता भी है कितने की चॉकलेट है ये पूरे डेढ़ सौ की।
“पर माँ” -सोनू ने कहा ।
“पर वर कुछ नहीं, तुझे और चाहिए तो ये ले” –
माँ उसे एक और चॉकलेट देने लगी तो उसका एक टुकड़ा फर्श पर गिर गया।
सोनू ने उसे झट से उठा लिया और खाने के लिए हाथ मुंह के करीब लाया ही था
कि माँ ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली, “ये क्या कर रहा है तू, नीचे गिरी चीज नहीं खाते।”
माँ ने वह टुकड़ा उससे लेकर कालू को दे दिया।
सोनू को अब जब भी कोई चीज कालू को देनी होती तो वह उसे फर्श पर गिरा देता।
एक दिन पापा उसके लिए स्वेटर लेकर आये।
सोनू बहुत खुश था। वह जब स्वेटर पहन कर देख रहा था तो उसकी नज़र अचानक कालू पर पड़ी।
फटी कमीज से उसका बदन जैसे उसी की ओर ताक रहा था।
उसने हाथ में लिया स्वेटर नीचे गिरा दिया।
पापा उसकी यह हरकत देख मुस्कुराने लगे और उसके पास आकर बोले,
“मैं जानता था तुम कुछ ऐसा ही करोगे।
इसीलिए मैं एक स्वेटर और लाया हूँ। लो, उसे दे दो।”
आपके अंदर भी सेवा कर्म जिन्दा है तो करते रहे, अच्छा लगेगा
खाली नाम में कुछ नहीं रखा है, आपके कर्म और आपकी सोच ही आपको एक अच्छा इंसान बनाते हैं।
If you like this story Please don’t forget to like our social media page –