नाहरगढ़ के राजा सिंहपाल की कोई संतान नहीं थी। राजा इस कारण चिंता में डूबे रहते थे , कि उनके बाद राजगद्दी का उत्तराधिकारी कौन होगा ? उनका राज्य आगे कौन चलाएगा ? क्या उनका वंश यही तक था ? यह सोच कर राजा सिंहपाल और उनकी पत्नी दुखी रहा करते थे। राजा सिंहपाल ने एक बिल्ली पाली हुई थी। बिल्ली जब जवान हुई तो राजा ने सोचा क्यों ना मैं इसका विवाह कराकर पुण्य कमाऊं ? राजा ने प्रसिद्ध चित्रकार को बुलाया और एक 12 वर्ष की कन्या का सुंदर चित्र बनवाया। राजा सिंहपाल ने उस चित्र को आस-पास के राजा के यहां भिजवाया और योग्य वर ढूंढने के लिए कहा।
Bhagwan bholenath ko uski baat manni hi padi hindi story
कुम्हरार देश के राजकुमार को कन्या का चित्र पसंद आया। राजकुमार ने कन्या को पसंद किया और उससे विवाह का प्रस्ताव राजा सिंहपाल के यहां भिजवा दिया। दिन मुहूर्त तय होने पर सिंहपाल ने कुम्हरार देश के राजकुमार के साथ अपनी बिल्ली का विवाह करने की घोषणा की। बिल्ली को कन्या के भेष में तैयार कराया गया। ठीक जिस प्रकार कन्या श्रृंगार करती है , साड़ी पहनती है उसी प्रकार बिल्ली को तैयार किया गया। बिल्ली को कन्या की भांति ही मंडप में बिठाया गया। बिल्ली इतनी प्रशिक्षित थी , कि वह कन्या की भांति बैठी रही और अपने हाथ – पैर को साड़ी में छिपाई रही।
विवाह के पश्चात
कुम्हरार देश के राजकुमार अपनी पत्नी को लेकर अपने देश लौट जाते हैं। उस दिन राजकुमार की माताजी को यह पता चल जाता है , यह कोई कन्या नहीं बल्कि एक बिल्ली है। इस कारण राजकुमार की माँ ने राजकुमार से अभी कन्या बानी बिल्ली से नहीं मिलवाया था। बिल्ली को राजकुमार की माता ने स्वीकार कर लिया था। बिल्ली अपने रोजमर्रा का कार्य भी नहीं कर पा रही थी पोछा लगाते समय वह अपने पुंछ में एक कपड़ा बांध लेती और पूरे घर में पोछा लगाती , उसी प्रकार झाड़ू को अपनी पूछ में बांधकर पूरे घर में सफाई करने का प्रयास करती और म्याऊं – म्याऊं कर रोती , करूँण विलाप करती और कहती ” म्याऊं – म्याऊं ना मेरे हाथ – पैर कैसे झाड़ू – पोछा करूँ म्याऊं-म्याऊं ”
एक दिन की बात है बिल्ली खाना बना रही थी और करण स्वर में रो रही थी ” ना मेरे हाथ – पैर मैं कैसे खाना बनाऊं ?” इस करुण स्वर को सुनकर पृथ्वी पर भ्रमण करने आए शंकर – पार्वती आश्चर्यचकित रह गए। आवाज सुनकर पार्वती देवी ने कहा कि ” हे देव कोई करुण स्वर में रो रहा है , और हमें बुला रहा है। हमें तत्काल उसकी सहायता के लिए चलना चाहिए ” महादेव ने समझाया देवी यह मृत्यु लोक है यहां मोह – माया लगा रहता है।
किंतु पार्वती के हठ पर महादेव को मानना पड़ा और तत्काल बिल्ली के पास जाना पड़ा।
बिल्ली से उसके रोने का कारण पूछा तो बिल्ली ने पूरी घटना को विस्तार सहित बता दिया। किस प्रकार राजकुमार से मेरा विवाह हुआ , और मैं कोई कार्य नहीं कर पा रही हूं। राजकुमार को यदि मेरा वास्तविक रूप का पता चलेगा तो वह बहुत दुखी होंगे , अभी तक राजकुमार ने मेरा मुख भी नहीं देखा है। देवी पार्वती को दया आती है , उन्होंने महादेव से आग्रह किया ” महादेव आप इस बिल्ली को एक सुंदर कन्या के रूप में बदल दीजिए और इसको दीर्घायु प्रदान कीजिए ” महादेव , पार्वती के इस आग्रह को टाल नहीं पाए और उन्होंने बिल्ली को सचमुच की राजकुमारी बनाकर उसे दीर्घायु प्रदान किया।
बिल्ली अपने नए रूप को पाकर बहुत ही प्रसन्न हुई उसने शंकर पार्वती को दिल से धन्यवाद दिया। इस खुशी को अपनी सास से बांटने के लिए उनके पास गई और सासु मां के चरण दबाते हुए उसने सारा वृत्तांत सुना दिया। इस रूप को देखकर सास भी अति प्रसन्न हुई। उस दिन से दोनों ने शंकर – पार्वती की आराधना शुरू कर दी। बिल्ली को नया जीवन मिला कुछ दिन बाद राजकुमार से राजकुमारी का भेंट करवाया गया और अपने गृहस्थ जीवन को जीने के लिए उन दोनों ने एक नया जीवन प्रारंभ किया।