“भाभी मां….
बचपन से यही सुना है कि मां से ही मायका होता है….
मैं भी इसी बात को हक़ीक़त मानती अगर इस बार भाभी के बुलाने पर मायके ना गई होती… आज चार महीने हो गये मां को गए उस वक्त तो लगा था कि मायके से नाता ही टूट गया है
Bhabhi maa me dikhi apni maa ki murat
अपने खयालों में खोई पीहू ट्रेन से अपने घर वापस जा रही थी….पापा के बारे में ठीक से याद नही बहुत छोटी थी जब वो गुज़र गए थे फिर तो मां ही पीहू और उसके भैया की पूरी दुनिया थी बहुत मुश्किलो के बावजूद भी मां ने किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी भाई ने भी अपने फ़र्ज़ निभाया पहले अपने से काफी छोटी बहन की शादी की फिर खुद शादी की… भाई की शादी होने के बाद भी पीहू भाभी से ज्यादा मां के ही नज़दीक थी, अपने दुख सुख मां के अलावा किसी को नहीं बताती थी ..
मायके में उसकी दुनिया मां तक ही सीमित थी जब से मां नही रही तब से मायके जाने की कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ी….लेकिन इस बार गर्मियों की छुट्टियों में पारुल भाभी और बच्चों के आमंत्रण को नकार ना सकी….
बुझे मन से मायके की ओर रवाना हुई, घर पहुँची तो भैया-भाभी और बच्चों ने दिल खोल कर स्वागत किया लेकिन फिर भी कहीं दिल का एक कोना ख़ाली ही था…
खाने में भाभी ने सारी चीज़ें पसंद की बनाई थी, रात को भाभी से आग्रह किया कि मेरा बिस्तर मां के कमरे में ही लगाए…
देर रात तक मां की चीज़ों को निहारते कब नींद आ गयी पता ही नही चला…. सपने में भी मां को ही देखती रही, की कैसे घर आने पर वो मां के साथ ही सोती थी और कैसे मां सुबह चाय बना कर उसके बालों को सहला कर उसे उठती थी।
अचानक उसने उसने महसूस किया कि मां सच मे बगल में बैठ कर उसके बालो को सहला कर उसे उठा रही है, वही स्पर्श, वही खुशबू, वही आँचल की नरमी…. बंद आँखों से ही उसकी अश्रुधारा बहने लगी, वो उस पल को जी भर कर जी लेना चाहती थी कि अचानक उसे याद आया कि माँ तो अब इस दुनिया मे नही है, उसने झट से अपनी आँखें खोली तो देखा कि सिरहाने भाभी बैठ कर उसके बालों को सहला रही है….
वह चौंक कर उठ बैठी….
“भाभी आप…. कोई काम था क्या” पीहू ने पूछा
पारुल ने कहा कि नहीं दीदी, बस आपके लिए चाय लायी थी आप नहा कर तैयार हो जाइये मैं नाश्ता लगाती हूँ….
जी भाभी…. पीहू ने जवाब दिया…
चाय पीते हुए पीहू ने ध्यान दिया कि जब से आई हूँ भाभी ने बिल्कुल मां की तरह से ध्यान रखा है…
मेरी पसंद का खाना, मेरी पसंद का बाथरूम में शैम्पू और साबुन यहा तक कि सुबह उठाने का तरीका भी वही….
वही मां जैसा कोमल स्पर्श, वही मां जैसी खुशबू, वही मां जैसा एहसास….
शायद भाभी के प्यार को पहले समझ ही नही पाई….
इसका मतलब मेरा मायका आज भी वैसा ही है जैसा मां के होने पर था अपनी ही सोच पर पीहू रोमांचित हो उठी।
अपने मन मे कुछ निर्णय करके पीहू नहा कर तैयार हुई और किचन की ओर चल दी किचन में घुसते ही पीहू बोली,”अब आप बैठिये भाभी मां….नाश्ता मैं लगाती हूं….
इस नए संबोधन को सुन कर पारुल ने चौंक कर पीहू की ओर देखा, तो पीहू को मुस्कुराते देख वो भी मुस्कुरा दी….
“ठीक है बिटिया रानी ” पारुल ने जवाब दिया …
जवाब में एक नये संबोधन को सुन कर पीहू के साथ पारुल भी खिलखिला कर हँस पड़ी….
पीहू के दिल का खाली कोना अब भर चुका था….
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