एक जंगल था उसमें एक बहुत बड़ा पेड़ था और उसी के पास कांटे वाले झाड़ियां थी पेड़ हमेशा अपने ऊपर घमंड करता था कि देखो मैं कितना बड़ा हूं मैं, मेरे पास लोग आते हैं मेरे फल खाते हैं और मेरी नीचे बैठकर छाया लेते हैं|
तुम्हारे पास तो कोई आता भी नहीं है ना ही तुम्हारे से कोई लेता है झाड़ी ने कहा कोई बात नहीं कुछ लोग पेड़ के पास आये पेड़ बहुत खुश हो रहा था कि देखो यह मेरे पास बैठेंगे यह मेरे फल खाएंगे पर वो लोग तो पेड़ की जड़ को आरी से काटने लग गए |
पेड़ ने कहा तुम मेरे ही फल खाते थे और मेरे ही छांव में घंटों बैठ बैठते थे और फिर तुम आज मुझे क्यों काट रहे हो उन आदमियों ने कहा कि हमें लकड़ी की जरूरत है इसीलिए हम तुम्हें काट रहे हैं यह सुनकर झाड़ी हंस पड़ी और बोली देखो तुम्हें अपने आप पर कितना घमंड था पर तुम थोड़ी ही देर में कट जाओगे मुझे देखो कोई मेरे पास नहीं आता लेकिन मैं हमेशा यहीं रहती हूं ना तो कोई मुझसे कुछ लेता है और ना ही देता है अपने आप को जितना बड़ा समझते थे आज तुम उतनी ही छोटे हो जाओगे और इस जंगल से चले जाओगे |
यह सुनकर पेड़ को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह झड़ी से माफी मांगने लगा कोई छोटा बड़ा नहीं होता सब अपने अपने गुणों से छोटे बड़े होते हैं.
दोस्तों ये कहानी हम सभी ने बचपन से सुनी है | क्या एक 12-14 साल के लड़के में अचानक से इतना साहस और सूझबूझ आ गयी होगी . नहीं दोस्तों ये तो बचपन से उस लड़के को दूसरों की मदद करना. कठिनाई देखकर न घवरना इस तरह की सोच मिली होगी वरना अचानक आई किसी भी बिपति में हम वैसे ही React करते हैं जैसा हमने अभ्यास किया होता है.इसलिए हर समय अच्छा सोचे हमरी सोच ही हमारा जीवन बनाती है |
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